आज हम आपको बताएंगे बॉलीवुड के मशहूर कॉमेडियन किंग राजपाल यादव के बारे में इनके कॉमेडी का अंदाज ऐसा था कि इनको देखकर लोगों की चेहरे पर मुस्कान आ जाते थे। हालांकि राजपाल यादव को लंबे समय से फिल्में नहीं मिल रही है जिसके कारण वह फिल्मों में नहीं दिखाई दे रहे हैं।
नई सदी की शुरुआत हो रही थी और बॉलीवुड में एक ऐसे कॉमेडियन की एंट्री हुई जिन्होंने अपनी अदाकारी से एक से एक बड़े धुरंधरों के पसीने छुड़ा डाले। जिस हास्य कलाकार का नाम था राजपाल यादव 5 फुट 2 इंच का वह एक्टर जो गुंडा बनकर फिल्मों में सामने आया और सर्वश्रेष्ठ खलनायक का अवार्ड ले गया। कॉमेडियन बनाकर फिल्मों में आता तो हीरो पर ही भारी पड़ जाता गंभीर किरदार मिलता है तो ऐसी एक्टिंग करता की आंखें भीग जाती ओ कॉमेडियन जिसकी तुलना बड़े-बड़े हास्य कलाकार से होने लगी थी जिसको फिल्म निर्देशक इसलिए लिया करते कि अगर फिल्म कहीं डगमगाई तो ये कलाकार उसको संभाल लेगा। इकलौता कॉमेडियन जिसको फिल्म में होने से बड़े-बड़े लीड हीरो इतना घबराया करते कि उसके सीन सुपर कैंची चलवा देते ताकि हीरो की अहमियत काम ना हो जाए परंतु क्या आपको पता है कि इतने बड़े मशहूर कॉमेडियन कैसे बर्बाद हो गया क्यों फिल्मों में काम उनको नहीं मिल रही है और क्यों फिल्में नहीं कर रहे हैं कैसे राजपाल यादव का एक फैसला उनको ले डूबा और उनका सारा कैरियर बर्बाद हो
राजपाल यादव ऐसी कौन सी गलती की थी जिसके कारण उनका सारा कैरियर बर्बाद हो गया फिल्मों में काम मिलना बंद हो गया 16 मार्च 1973 को शाहजहांपुर में पैदा हुआ एक लड़का जो हाई स्कूल पास कर दर्ज बनने की ट्रेनिंग कर रहा था वह कॉमेडियन बॉलीवुड में राजपाल यादव के नाम से कैसे मशहूर हो गया। आपके मन में भी यह सवाल आता होगा असल में राजपाल यादव का बचपन से ही पढ़ाई में मन नहीं लगा करता था हां गांव के बाहर अगर दूर कहीं रामलीला और नौटंकी हो रही होती। तो वहां जरूर पहुंच जाते थे पिता चाहते थे की पढ़ लिख कर बेटा डॉक्टर बन जाए हाई स्कूल के लैब में मेंढक पर चीरा लगाने की बारी आई तो होश उड़ गए समझ गए की डॉक्टरी तो मेरे बस की बात नहीं है। हाई स्कूल पास कर सेना पुलिस और पीएससी में भर्ती होने के लिए लाइन लगने लगे मगर उनकी हाइट 5 फुट 2 इंच होने के कारण वह सेना में नहीं जा सके। खैर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में दर्ज की भर्ती आई तो वहां राजपाल यादव का सिलेक्शन हो गया। ट्रेलर बनने की ट्रेनिंग कर रहे थे मगर गांव के बाहर रामलीला हो या नौटंकी पैदल ही चले जाते थे। एक दिन वापस लौट रहे थे कि गांव के एक शख्स ने रास्ता दिखाया बोल थिएटर ज्वाइन करो यहां कुछ नहीं होगा तब राजपाल यादव ने थिएटर ज्वाइन कर लिया और वहां से नई रास्ते खुलने लगी। वहां पता लगा कि आगे बढ़ाना है और एक्टिंग सीखनी है तो लखनऊ जाओ वहां “भारतेंदु नाट्य अकादमी” में मौका मिल गया तो किस्मत बदल जाएगी। एनडीएनए में प्रवेश पाना बड़ा मुश्किल है खैर 1992 में राजपाल यादव लखनऊ आ गए और अपने हुनर के दम से भारतेंदु में एडमिशन भी का लिया।
1994 तक 2 साल भारतेंदु में अधिकारी सीखी फिर एक बड़ा सपना देखा नई दिल्ली के “नेशनल स्कूल आफ ड्रामा” में प्रवेश पाने का एनएसडी में प्रवेश पाना तो सपना ही था। मगर खुली आंखों से देखा ख्वाब भी राजपाल के हुनर के आगे सच हो गया 1994 में कठिन इंटरव्यू पास कर एक सीट अपने नाम कर ली। सीनियर थे नवाजुद्दीन सिद्दीकी खूब रैगिंग किया करते थे 1997 में एनएसडी से एक्टिंग के महारथी बनकर निकले तो साल भर में ही दूरदर्शन से बुलावा आ गया। शो था “मुंगेरी के भाई नवरंगी लाल” कॉमेडियन के रूप में पहचान मिली लेकिन मन बॉलीवुड में था। किस्मत साथ दे रही थी बॉलीवुड में ऑफर मिलते देर न लगी 1999 में 3 फिल्में आई। Mast, Dil kya kare, Shool किसी में चपरासी किसी में कुली और किसी में हवलदार ए रोल कब आए और कब निकल गए पता ही नहीं चला। वही राजपाल यादव को पता ही नहीं था कि अब जो फिल्में मिलने जा रही है पूरा नसीब पलटने वाली है। 1999 की आसपास की बात है मशहूर “डायरेक्टर रामगोपाल वर्मा” फरदीन खान के साथ फिल्म बनाने जा रहे थे। मुख्य विलेन सुशांत सिंह बनाए गए उनके लिए गुर्गों की तलाश हो रही थी। राजपाल यादव उनके पास पहुंचे तो न जाने राम गोपाल वर्मा को नाटे पतले दुबले कॉमेडियन में क्या दिखा सुशांत के गुर्गे का रोल दे दिया। साल 2000 में आई जंगल डाकू दुर्गा नारायण बने सुशांत के गुर्गे शिप्पा के किरदार में राजपाल यादव ऐसी शानदार दमदार एक्टिंग बॉलीवुड में कभी ऐसा हुआ ही नहीं था कि किसी गुंडे के गुर्गे को सर्वश्रेष्ठ खलनायक का अवार्ड मिला हो इतना ही नहीं राजपाल का नाम तो उस साल सर्वश्रेष्ठ एक्टर की नॉमिनेशन लिस्ट तक में आ गया था। मगर कद काठी ठीक थी नहीं तो समझ के हास्य कलाकार बने रहने में ही भलाई है।
कभी “चांदनी बार” में इकबाल चमड़ी बनकर नजर आए तो कभी “ये जिंदगी का सफर में” बापू 2001 के बाद खूब फिल्में मिलने शुरू हो गई एक से एक भूमिकाए निभाई हंगामा में राजा बनकर हंसाया मुझसे शादी करोगी का पुरोहित भला कौन बोलेगा। “टार्जन द वंडर कार” का हवलदार सीताराम “क्या कूल है हम” का उमाशंकर त्रिपाठी “मैंने प्यार क्यों किया” का थापा “गरम मसाला” का बब्बर “फिर हेरा फेरी” का पप्पू “भागम भाग” का गुलाब सिंह और “भूल भुलैया” का छोटे पंडित का रोल बॉलीवुड में राजपाल यादव का नाम एक ब्रांड बन गया। बड़े-बड़े हीरो के साथ फिल्में मिलने लगी फिल्म मेकर अपनी फिल्म में राजपाल यादव को छोटा-मोटा रोल जरूर दिया करते 2002 के बाद कोई साल ऐसा नहीं गया जब उनकी 10 या 15 फिल्में न आता हों हिंदी फिल्मों में जॉनी लीवर जैसे बड़े कॉमेडियन को भी राजपाल यादव ने पछाड़ दिया। राजपाल न सिर्फ हंसा रहे थे बल्कि रुला भी रहे थे। जी हां “मैं मेरी पत्नी और वो” में लाइब्रेरियन शुक्ला का किरदार और “मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूं” फिल्म में अंतरा माली के पति राजा का रोल जिसने भी देखा उनकी आंखों से आंसू छलक आए।
करियर बर्बाद
इस कलाकार का करियर बहुत अच्छा चल रहा था। मगर फिर अचानक राजपाल यादव की बदकिस्मती ने दस्तक दे दी उनसे ऐसा फैसला हो गया जिसने इनको कहीं का ना छोड़ा बॉलीवुड से लेकर अपने फैंस के आगे पूरा नाम डूब गया जिनके कारण इन्हें फिल्में मिलना बंद हो गई और इसीलिए ये फिल्में नहीं कर रहे हैं। राजपाल यादव को इस चीज ने बर्बाद कर दिया जिसने कभी राजेंद्र नाथ से लेकर भगवान दादा जैसे पुराने बॉलीवुड कलाकारो को बर्बाद किया था। चादर से ज्यादा पर फैलाने का सपना साल 2010 की बात है बड़ी बुलंदी पर करियर चल रहा था तो कॉमेडियन ने सोचा कि अब खुद ही फिल्म बनाकर नोट छापा जाए। “नवरंग गोदावरी लिमिटेड कंपनी” बनाई और खुद ही प्रोड्यूसर बन गए। और बड़े-बड़े कलाकारों को साथ लेकर करोड़ों की बजट में फिल्म बनाना शुरू कर दी। अपनी कमाई झोंक दी अनुभव की कमी थी तो बजट ज्यादा बढ़ गया पैसे की जुगाड़ करने की बारी आई तो बैंक के अलावा दिल्ली का एक करोड़पति व्यापारी माधव गोपाल अग्रवाल को मुझे पड़ा और उनसे 5 करोड रुपए भी उधार ले डालें 8 करोड़ लौटने का लिखित वादा भी कर दिया। जैसे तैसे कर्ज में डूब कर फिल्म तो बना ली लेकिन रिलीज से पहले ही व्यापारी से विवाद हो गया और रिलीजिंग में देर हो गई खैर फिल्म जाकर 2012 में रिलीज हो गई लगा अब सब कुछ ठीक हो जाएगा मगर पहली बार राजपाल यादव की किस्मत ने धोखा दे दिया करोड़ों में बनी फिल्म लाखों के कमाने के लिए लायक भी नहीं थी फिल्म सुपर फ्लॉप साबित हुई और राजपाल यादव का सारा पैसा डूब गया खुद के साथ जो लोगों से कर्ज में करोड़ों लिए थे वह भी डूब गए राजपाल ने जो कर्ज चुकाने के लिए करोड़ों में चैक दिए थे वह बाउंस होना शुरू हो गए पैसा ना मिलता है देख व्यापारी माधव गोपाल अग्रवाल ने “धोखाधड़ी का केस” कर दिया। दिल्ली के कोर्ट ने राजपाल यादव को जेल भेज दिया दो-चार दिन नहीं बल्कि 3 महीने तक वे जेल में बंद रहे। फिर बाहर निकले तो भी कर्ज की रकम आ चुका सके। कोर्ट ने उन्हें 14 करोड़ चुकाने का आदेश दे दिया। मगर इस दौरान पता चला कि उन्होंने सेंट्रल गवर्नमेंट आफ इंडिया से भी 3 करोड रुपए का लोन लिया था। इसको भी को नहीं भर पाए सालों बाद यह लोन 11 करोड़ हो गया। बैंक वालों को पैसा नहीं मिला तो उन लोगों ने उनके पिता का शाहजहांपुर वाला घर ही सील कर डाला। क्योंकि वह घर ही कर्ज की गारंटी था। वहीं जेल जाने पर पूरे बॉलीवुड में उनकी ऐसी बदनामी हो गई। की फिल्म मेकर्स भी उन्हें फिल्मों में रोल देना बंद कर दिए। और इसी कारण बॉलीवुड के मशहूर कॉमेडियन राजपाल यादव फिल्में नहीं कर रहे हैं।